UTTRAKHAND NEWS – देखें (VIDEO) रूह कंपा देने वाली रास्ते में जान जोखिम डाल बीमार महिला को डोली से पहुंचाया अस्पताल

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पिथौरागढ़: पहाड़ का दर्द किसी से छुपी नहीं है। पहाड़ की व्यवस्थाओं को लेकर सरकार बलवाड़ी दावे तो करती है लेकिन ताजा तस्वीर पिथौरागढ़ जनपद से सामने आया है जहां एक बीमार महिला को डोली से लोगों ने अपने कंधे में उठाकर 5 किलोमीटर दूर घंटों मशक्कत के बाद सड़क मार्ग तक ले गए जहां आगे उसको आगे अस्पताल को भेजा है.
बताया जा रहा है कि पिथौरागढ़ जनपद के मुनस्यारी ब्लॉक के बौना ग्राम सभा की रहने वाली महिला का शनिवार देर रात अचानक स्वास्थ्य खराब हो गया पेट में दर्द की शिकायत के बाद किसी तरह से ग्रामीणों ने गीता बृजवाल को रविवार सुबह डोली के माध्यम से गांव से रेस्क्यू कर 5 किलोमीटर सड़क मार्ग पर लाए जिसके बाद मुंसियारी अस्पताल को भेजा है। ग्रामीणों का आरोप है कि बौना गांव में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर नहीं होने के गांव के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि 3 से 4 हजार आबादी वाले क्षेत्र में एक अस्पताल है लेकिन वहां पर डॉक्टर भी तैनात नहीं है। यहां तक कि कुछ महीने पहले सड़क भी बनी थी लेकिन क्वालिटी ठीक नहीं होने पर चलते बरसात में सड़क भी टूट गई है जिससे ग्रामीणों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है ।वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है जिसमें साफ देखा जा रहा है कि ग्रामीण महिला को डोली के सहारे सड़क मार्ग तक ले जाने के काम कर रहे हैं जहां एक झरने से भी ग्रामीणों को गुजारना पड़ा, जहां ग्रामीण सरकार और उसके व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

इन हालातों में किसी के बीमार पडने पर उसकी जान बचाने के लिए ग्रामीणों को खुद की जान हथेली पर रखनी पड़ती है ग्रामीणों का कहना है कि राजकीय एलोपैथिक अस्पताल में विगत आठ माह से चिकित्सक नहीं होने से बीमार को इलाज नहीं मिल पा रहा है प्राथमिक उपचार मदकोट पहुंच कर ही मिल सकता था।

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रास्ते बंद सिर्फ पैदल चलने के संकरे जगह में बारिश के बीच ऊफानाए नाले और चट्टानों से गिरने वाले झरनों के बीच से बीमार महिला को 5 किमी दूर मदकोट अस्पताल पहुंचाने की चुनौती ग्रामीणों ने ली। लगातार घंटो कंधों में डोली में सवार बीमार महिला को मदकोट अस्पताल पहुंचा कर दम लिया। गंभीर हो चुकी महिला के लिए ग्रामीणों के कंधे एंबुलेंस बने। यह तब जब प्रदेश सरकार दावा करती हैं कि पहाड़ में पर्याप्त चिकित्सक हैं ।

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