Kainchi Dham Temple: 15 जून स्थापना दिवस,लाखों पहुंचेंगे श्रद्धालु , जाने बाबा नीम करोली महाराज की महिमा

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उत्तराखंड के नैनीताल स्थित कैंची धाम में दो साल बाद भक्तों का सैलाब उमड़ने लगा है। विश्व प्रसिद्ध बाबा नीम करौली के कैंची धाम के स्थापना दिवस को लेकर मंदिर प्रबंधन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. नैनीताल के कैच (भवाली) में बने बाबा नीम करौली के धाम में हर साल लाखों भक्त आते हैं और दर्शन करते हैं. फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg), एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स (Steve Jobs) भी बाबा के मुरीद रहे हैं. मंदिर में बाबा नीम करौली महाराज की तपोस्थली है. 15 जून को बाबा नीम करौली के दरबार में मेला लगेगा।

कैंची धाम स्थापना दिवस पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है, जिसको लेकर मंदिर प्रबंधन के साथ ही प्रशासन भी अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटा है. पिछले दो सालों से कोरोना के चलते कैंची धाम में कोई कार्यक्रम नहीं हो रहा था. इसीलिए उम्मीद की जा रही है कि कैंची धाम के स्थापना दिवस पर स्थापना दिवस डेढ़ लाख श्रद्धालु पहुंचे सकते हैं।
बाबा नीम करोली एक चमत्कारिक बाबा थे। उनके भक्त उन्हें हनुमानजी का अवतार मानते हैं। वे एक सीधे सादे सरल व्यक्ति थे। उनके संबंध में कई तरह के चमत्कारिक किस्से बताए जाते हैं।

हर साल 15 जून कैंची धाम का स्थापना दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन बड़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु बाबा नीम करौली महाराज के कैंची धाम पहुंचते हैं. कैंची धाम का फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स की प्रेरणा स्थली भी रही है।

एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स भी बाबा के दर्शन के लिए यहां आ चुके हैं और जो एप्पल के उत्पादों में लोगो है. वह भी बाबा के द्वारा ही दिया गया है. बताते हैं कि बाबा ने स्टीव जॉब्स को अपने मुंह से कटा हुआ सेब दिया था, जिसको प्रेरणा मानते हुए जॉब्स ने अपना लोगो बनाया और स्टीव जॉब्स को उसके बाद सफलता ही सफलता मिली।

हर साल 15 जून को कैंची मंदिर के स्थापना दिवस पर मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें करीब 1 से 2 लाख श्रद्धालु आते हैं. सबसे ज्यादा विदेशी भक्त बाबा के दर्शन के लिए कनाडा, यूएस, जर्मनी, फ्रांस समेत अनेक देशों से आते हैं. भक्तों का कहना है कि बाबा के चमत्कार यहां कई बार देखने को मिले हैं।

बाबा के भक्तों में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का नाम भी शामिल है. बताया जाता है कि ओबामा के चुनाव लड़ने से पहले अमेरिका से एक दल मंदिर आया था और उन्होंने ओबामा की जीत के लिए हनुमान चालीसा का पाठ किया था।

जानिए कौन से बाबा नीम करोली महाराज

बाबा नीम करोली एक चमत्कारिक बाबा थे। उनके भक्त उन्हें हनुमानजी का अवतार मानते हैं। वे एक सीधे सादे सरल व्यक्ति थे। उनके संबंध में कई तरह के चमत्कारिक किस्से बताए जाते हैं।

उत्तराखंड के नैनीताल के पास कैंची धाम में बाबा नीम करौली 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। बाबा नीम करौली ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी।

नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में उनका जन्म 1900 के आसपास हुआ था। 17 वर्ष की उम्र में ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। 11 वर्ष की उम्र में ही बाबा का विवाह हो गया था।

  1. 1958 में बाबा ने अपने घर को त्याग दिया और पूरे उत्तर भारत में साधुओं की भांति विचरण करने लगे थे। उस दौरान लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा वे कई नामों से जाने जाते थे। गुजरात के ववानिया मोरबी में तपस्या की तो वहां उन्हें तलईया बाबा के नाम से पुकारते लगे थे।

बाबा नीम करौली महाराज के दो पुत्र और एक पुत्री हैं। ज्येष्ठ पुत्र अनेक सिंह अपने परिवार के साथ भोपाल में रहते हैं, जबकि कनिष्ठ पुत्र धर्म नारायण शर्मा वन विभाग में रेंजर के पद पर रहे थे। हाल ही में उनका निधन हो गया है।

. उन्होंने अपने शरीर का त्याग 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में किया था। बताया जाता है कि बाबा के आश्रम में सबसे ज्यादा अमेरिकी ही आते हैं। आश्रम पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच स्थित है।

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