हाथरस हादसा:सत्संग में भदगड़……. मरने वालों की संख्या हुई 116,जाने कौन है ये बाबा साकार हरि भोले बाबा?

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यूपी के हाथरस में एक सत्‍संग मातम में बदल गया और मौके पर शवों का ढेर लग गया. यहां पर मची भगदड़ में 116 लोगों की मौत हो गई है. हाथरस भगदड़ में मरने वालों में ज्‍यादातर महिलाएं और बच्‍चे शामिल हैं. यह भगदड़ सिकंदराराऊ थाना क्षेत्र के फुलरई गांव में आयोजित भोले बाबा के सत्संग में मची. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने हाथरस सत्‍संग हादसे पर दुख जताया और कहा कि भगदड़ में लोगों की मौत दुखद है. उन्‍होंने कहा कि पीड़ितों की हर संभव मदद की जाएगी. साथ ही मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने भी घटना पर दुख व्यक्त किया है और हादसे की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है. सीएम योगी बुधवार को घटनास्थल पर जाएंगे.

आसपास के जिलों से भी डाक्टर बुलाए गए हैं। दवा, ग्लूकोज का स्टाक मंगाया गया है। पीएम मोदी ने लोकसभा में हादसे पर दुख जताया है। सीएम योगी ने दुख जताने के साथ ही अधिकारियों को कई निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सीएम योगी बुधवार को खुद हाधरस आ रहे हैं।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस में हुए हादसे का संज्ञान लिया है। सीएम योगी ने मृतकों के शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है साथ ही घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाकर जिला प्रशासन के अधिकारियों को उनके समुचित उपचार के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की भी कामना की है।

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हाथरस हादसे के बाद अब केस दर्ज करने की प्रक्रिया जारी है. जानकारी के मुताबिक, सत्संग में कुल 40 पुलिसकर्मी तैनात थे. इसके अलावा बाबा के सेवादार भी व्यवस्था में लगे हुए थे. बता दें कि भोले बाबा यानी नारायण साकार हरि की सभा में 50 हजार से भी अधिक लोग शामिल हुए थे. बाबा को प्रशासन की ओर से सभा का आयोजन करने की मंजूरी मिल गई थी. बताया जा रहा है कि अलग-अलग राज्यों से लोग सभा में शामिल हुए थे

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पुलिस की नौकरी से वीआरएस, फिर भगवान से साक्षात्कार

स्वयंभू संत भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि बाबा खुद को लेकर कई दावे करते हैं। बकौल बाबा, वो कासगंज के पटियाली गांव के रहने वाले हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस में 18 साल की नौकरी के बाद वीआरएस ले लिया था। वीआरएस के बाद उन्हें भगवान से साक्षात्कार हुआ। इसके बाद उनका झुकाव अाध्यात्म की ओर हुआ। मंगलवार को भी सिकंदरा राऊ के फुलरई गांव में स्वयंभू संत भोले बाबा का प्रवचन चल रहा था। कई राज्यों के हजारों लोग इसमें पहुंचे थेI सत्संग खत्म हुआ तो भीषण उमस और गर्मी से बेहाल लोग वहां से जाने लगे। निकलने की जल्दी में भगदड़ मच गई। लोग एक-दूसरे को धक्का देते हुए आगे निकलने लगेI

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नारायण साकार हरि अन्य धार्मिक बाबाओं की तरफ गेरुआ वस्त्र या कोई अलग पोशाक में नजर नहीं आते हैं। नारायण हरि अक्सर सफेद सूट, टाई और जूते पहने रहते हैं तो कई बार कुर्ता-पायजामा भी पहने दिखाई देते हैं। साकार हरि खुद बताते हैं कि नौकरी के दिनों में उनका मन बार-बार आध्यात्म की तरफ भागता था, इसीलिए उन्होंने निस्वार्थ भाव से सेवा कार्य शुरू कर दिया। साकार हरि ने बताया कि 1990 के दशक में उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। उनके समागम या सत्संग में जो भी दान, दक्षिणा, चढावा आता है, वे अपने पास नहीं रखते, भक्तों के लिए खर्च कर देते हैं

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