उत्तराखंड का सबसे छोटा जिला कौन-सा है,जानें इतिहास

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उत्तराखंड भारत के पहाड़ी राज्यों में से एक है, जो कि अपनी विविध संस्कृति और अनूठी परंपराओं के लिए देश-दुनिया में जाना जाता है। प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर भारत का यह राज्य कई देशी-विदेशी सैलानियों के लिए पर्यटन की दृष्टि से आकर्षण का केंद्र है। यही वजह है कि हर साल यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं और यहां की सुदूर वादियों में खुद को तरोंताजा महसूस करते हैं।

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यहां पर सबसे पहले राज्य की स्थापना के बारे में जानना भी जरूरी है, तो आपको बता दें कि उत्तराखंड की स्थापना स्थापना को लेकर साल 2000 में लोकसभा में बिल पास किया गया था। वहीं, इसके बाद 10 अगस्त साल 2000 में राज्यसभा में भी इस बिल को मंजूरी मिल गई थी।

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राज्य सभा से मंजूरी मिलने के बाद 28 अगस्त साल 2000 में ही तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायण द्वारा उत्तरांचल स्टेट बिल पर मुहर लग गई थी। इसके बाद साल 2000 में 9 नवंबर को उत्तरांचल नाम से एक अलग राज्य का गठन किया गया था।

कितने क्षेत्रफल में फैला है उत्तराखंड
उत्तराखंड राज्य दो देशों के साथ अपनी सीमाओं को साझा करता है। इसमें पूर्व दिशा की ओर नेपाल देश है, जबकि उत्तर दिशा की और तिब्बत या चीन देश अपनी सीमा साझा करता है।

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उत्तराखंड प्रमुख रूप से पहाड़ी इलाका है। यह कुल 53,483 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो कि पूरे भारत का 1.63 फीसदी है। हालांकि, इसमें से अधिकांश भाग यानि कि 46,035 वर्ग किलोमीटर पहाड़ी इलाका है, जो कि इस पूरे राज्य का 86.07 फीसदी है। इस राज्य में समतल भूमि की बात करें, तो यह आंकड़ा 7,448 वर्ग किलोमीटर है, जो कि पूरे राज्य का 13.93 फीसदी है।

आपको बता दें कि उत्तराखंड में कुल 13 जिले हैं और दो डिवीजन हैं। यह दो डिवीजन गढ़वाल और कुमाऊं हैं। इसके अलावा यहां पर 10 तहसील और 13 जिला पंचायत और 7791 ग्राम पंचायत मौजूद हैं। साथ ही यहां पर 6 नगर निगम क्षेत्र भी हैं।

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उत्तराखंड का सबसे छोटा जिला चंपावत है। इसका कुल क्षेत्रफल 1766 वर्ग किलोमीटर है। चंपावत जिला पहले अल्मोड़ा जिले का भाग हुआ करता था। इसके बाद 1972 में यह पिथौरागढ़ जिले का भाग हो गया।

वहीं, 15 सितंबर 1997 को चंपावत जिले को अलग से एक जिला घोषित किया गया था। यहां कुल 705 गांव हैं, जिसमें 25,9648(साल 2011) की जनसंख्या रहती है। आपको यह भी बता दें कि चंपावत जिले को कुमाऊं का दिल भी कहा जाता है।

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