हल्द्वानी :श्रम विभाग की छापामारी 6 बाल मजदूर कराया मुक्त, मुकदमा दर्ज
हल्द्वानी : बाल मजदूरी के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत श्रम विभाग 6 बच्चों को मजदूरी करते हुए बरामद किया है । श्रम विभाग में मजदूरी कराने वाले बच्चों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है ।
मंगलवार को शहर में कई जगहों पर औचक निरीक्षण किया जहां ऑटोमोबाइल शॉप में 14 साल से कम उम्र के काम करते 6 बच्चों को मुक्त कराया है बरामद किए गए इन बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया श्रम प्रवर्तन अधिकारी मीनाक्षी कांडपाल ने बताया कि सभी छह नियोजकों के विरुद्ध बाल एवं किशोर श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन अधिनियम के अनुसार मुकदमा दर्ज कराया गया है।
जाने क्या है बालश्रम
बाल श्रम आमतौर पर मजदूरी के भुगतान के बिना या भुगतान के साथ बच्चों से शारीरिक कार्य कराना है। बाल श्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, यह एक वैश्विक घटना है। भारतीय संविधान के अनुसार किसी उद्योग, कल-कारखाने या किसी कंपनी में मानसिक या शारीरिक श्रम करने वाले 5 – 14 वर्ष उम्र के बच्चों को बाल श्रमिक कहा जाता है।
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भारत में 1979 में सरकार द्वारा बाल मजदूरी को खत्म करने के उपाय के रूप में गुरूपाद स्वामी समिति का गठन किया गया। जिसके बाद बालश्रम से जुड़ी सभी समस्याओं के अध्ययन के बाद गुरूपाद स्वामी समिति द्वारा सिफारिश प्रस्तुत की गई, जिसमें गरीबी को मजदूरी के मुख्य कारण के रूप में देखा गया और ये सुझाव दिया गया, कि खतरनाक क्षेत्रों में बाल मजदूरी पर प्रतिबंध लगाया जाए एवं उन क्षेत्रों के कार्य के स्तर में सुधार किया जाए।
1986 में समिति के सिफारिश के आधार पर बाल मजदूरी प्रतिबंध विनियमन अधिनियम अस्तित्व में आया, जिसमें विशेष खतरनाक व्यवसाय व प्रक्रिया के बच्चों के रोजगार एवं अन्य वर्ग के लिए कार्य की शर्तों का निर्धारण किया गया।
इसके बाद सन 1987 में बाल मजदूरी के लिए विशेष नीति बनाई गई, जिसमें जोखिम भरे व्यवसाय एवं प्रक्रियाओं में लिप्त बच्चों के पुर्नवास पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
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