Uttarakhand: 55 प्रत्याशियों का भविष्य EVM में कम मतदान सियासी दलों की बढ़ाई चिंता किसको होगा नफा, कौन झेलेगा नुकसान-खास रिपोर्टर
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उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर मतदान संपन्न होने के साथ ही मैदान में उतरे 55 प्रत्याशियों का भविष्य इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में कैद हो गया है। अपनी-अपनी जीत की उम्मीद में सभी उम्मीदवार अब अगले 45 दिन तक परिणाम के इंतजार में रहेंगे। पहले चरण के तहत उत्तराखंड की पांचों सीटों पर हुए मतदान के बाद अब चार जून को मतगणना होगी।
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उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर मतदान प्रतिशत के जो रुझान आए हैं, उसने राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों की पेशानी पर बल पड़ गए हैं।
उत्तराखंड में मतदान प्रतिशत राजनीतिक पार्टियों की चिंता बढ़ती है नतीजा यह हुआ कि बीते तीन चुनाव से इस बार सबसे कम मतदान हुआ। इसे लेकर अब नफा नुकसान की चर्चाएं शुरू हो गईं। सब अपने-अपने दावे पेश कर गणित लगाने में जुट गए हैं।
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बीते लोकसभा चुनाव-2019 के मुकाबले इस बार मतदाताओं में मतदान को लेकर ज्यादा जोश नहीं दिखा। जिस तरह निर्वाचन विभाग ने मतदाता जागरुकता अभियान चलाया। जगह-जगह मतदान को लेकर शपथ दिलाई गई, प्रचार-प्रसार किया गया, उस हिसाब से मतदाता बूथों तक नहीं पहुंचे। वोटर खामोशी से क्या सियासी संदेश दे गया है, आखिर मतदान के प्रति वोटर में इतनी उदासीनता क्यों आई इस पर मंथन करने की बात है।
यही स्थिति नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट पर रही। विधानसभा क्षेत्रवार बात करें तो इस सीट पर सबसे अधिक 70.15 फीसदी मतदान सितारगंज विधानसभा क्षेत्र में हुआ। हालांकि यहा भी पिछले दो चुनावों के मुकाबले मतदान प्रतिशत गिरा है। 2014 के मुकाबले यहां मतदान प्रतिशत में 2.96 फीसदी गिरावट आई है, जबकि 2019 के मुकाबले 8.43 फीसदी मतदान प्रतिशत घटा है। इस लोकसभा सीट पर सबसे कम 50.24 फीसदी मतदान नैनीताल विधानसभा क्षेत्र में पड़े।
2014 हो या 2019 या फिर 2024, हर लोकसभा चुनाव में अल्मोड़ा संसदीय सीट पर सबसे अधिक 55.10 फीसदी मतदान चंपावत विधानसभा क्षेत्र में हुआ। यह बात अलग है कि पिछले दोनों लोकसभा चुनावों से इस बार के चुनाव में यहां कम मतदान हुआ। यहां 2014 के मुकाबले 4.81 फीसदी कम तो 2019 के मुकाबले 5.98 प्रतिशत वोटिंग कम हुई। इस संसदीय सीट पर सबसे कम 31.10 फीसदी मतदान सल्ट विस क्षेत्र में हुआ।
भारतीय जनता पार्टी ने भी उत्तराखंड में कम हुई वोटिंग को स्वीकार किया. भाजपा ने कहा उत्तराखंड में इस बार चुनाव बिल्कुल नीरस रहा. भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव में मतदाताओं को लुभाने का काम किया. भाजपा ने कहा विपक्ष की बिल्कुल निष्क्रिय रहा. जिसके कारण यह चुनाव नीरस रहा. इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी ने कम वोटिंग के लिए निर्वाचन की सख्ताई को भी एक वजह बताया है.
कांग्रेस का कहना है जिन जगहों पर भारतीय जनता पार्टी को वोट पड़ने की उम्मीद थी वहां पर बिल्कुल भी वोट नहीं पड़ा है. इससे साफ पता चलता है कि भाजपा का 400 पार का नारा फ्लॉप हुआ है.लोगों में सरकारों की प्रति नाराजगी थी, जिसके कारण उन्होंने मतदान में भाग न लेने को ही सही समझा.
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