Haldwani: पहले पति को खोया…अब बेटा भी दे गया जिंदगी भर का गम, मौत से मां बदहवास

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सड़क हादसे ने मां को जीवन भर का दर्द दे दिया है . मंगलवार को तीनपानी में हुए सड़क हादसे ने दो बहनों को कभी न भूलने वाला दर्द दिया है। दुर्घटना में जान गंवाने वाले गौरव और संजीव मौसेरे भाई थे। संजीव की माता को पति की असमय मौत के बाद पुत्र के जाने का गहरा जख्म मिला है। हादसे के बाद से मां का रो-रोकर बुरा हाल है।

संजीव की माता निर्मला देवी पहले अपने पति की मौत का दर्द झेल चुकी हैं। जब उनके पति शहीद हुए थे, तब वह उम्मीद से थीं। बेटे के जन्म की खुशी से पहले उन्हें अपने पति की मौत का दर्द सहना पड़ा। संजीव के जन्म के बाद धीरे-धीरे उनके जख्म भरने लगे थे। संजीव के चाचा कमलेश चौबे ने बताया कि दादा, दादी, माता ने संजीव के पालन-पोषण में खुद को समर्पित कर दिया। 18 साल की उम्र होने पर संजीव वन नागा रेजीमेंट में भर्ती हो गया तो परिवार वालों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इन दिनों संजीव 30 दिन की कैजुवल लीव पर घर आया था। संजीव की तरक्की से परिवार भी खुश था। वह अपने परिवार वालों का बेहद लाडला था। शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। एक हादसे ने जहां परिवार का चिराग छीन लिया, वहीं निर्मला देवी को कभी न भूलने वाला दर्द दे दिया।

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हल्द्वानी सड़क हादसे में मारे गए बागेश्वर के सैनिक और कारोबारी का शव मंगलवार देर शाम बागेश्वर पहुंचा। शवों के यहां पहुंचते ही दोनों घरों में चीख-पुकार मच गई। बुधवार सुबह दोनों की शव यात्रा अलग-अलग जगह से निकली। सरयू संगम पर सैनिक संजीव की अंत्येष्टि सैन्य सम्मान के साथ हुई, जबकि कारोबारी गौरव का गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। शोक में 11 बजे तक बाजार बंद रहा। व्यापारियों ने शोक सभा कर दोनों को श्रद्धांजलि दी। मालूम हो कि मंगलवार तड़के तीन पानी के पास हुए सड़क हादसे में बागेश्वर के कारोबारी गौरव जोशी, सैनिक संजीव चौबे की मौत हो गई, जबकि उनका तीसरा साथी धीरज कुमार घायल हो गया था। उसका एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है।मंगलवार देर रात दोनों के शव बागेश्वर पहुंचे। सैनिक का पार्थिव शरीर बिलौना उनके घर पहुंचा, जबकि गौरव का शव जिला मुख्यालय स्थित उनके आवास में रखा गया।

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बुधवार की सुबह परिजनों की अश्रुपूरित विदाई के बाद सैनिक संजीव की शवयात्रा शुरू हुई। सरयू संगम पर सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।
कौसानी से आई सिंग्नल कोर की टुकड़ी ने सैनिक को अंतिम विदाई दी। सेना के अधिकारियों ने पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र चढ़ाया।

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