Uttarakhand News:योगी सरकार के इस कानून को लागू करने जा रही धामी सरकार, दंगाइयों की अब खैर नहीं

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उत्तराखंड सरकार यूपी की तर्ज पर काम करने वाली है। जिस तरह से यूपी में दंगा करने वालों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से पाई-पाई का हिसाब लिया जाता है, उसी तरह से अब उत्तराखंड सरकार भी दंगाइयों पर शिकंजा कसेगी। इसके लिए सरकार नया विधेयक लेकर आई है, जिसे सदन में पेश किया गया है।
उत्तराखंड में भी दंगाईयों, उपद्रवियों से योगी सरकार की तर्ज पर ही निपटा जाएगा। बजट सत्र में सरकार सख्त कानून का विधेयक लेकर आई है।

गृह विभाग ने उत्तराखंड लोक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक को लाने की तैयारी कर ली है। इस कानून के आते ही कोई उपद्रवी सरकारी व निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई होगी।
प्रस्तावित कानून के तहत बंद, हड़ताल, विरोध और प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक या निजी संपत्ति के साथ तोड़ फोड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.
प्रदेश सरकार उत्तराखंड लोक एवं निजी संपत्ति क्षति वसूली विधेयक विधानसभा में लाई है, जिसे सदन में पारित करने के बाद कानून का रूप दिया जाएगा। ऐसा कर उत्तराखंड देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल हो जाएगा, जहां इस तरह का कानून लागू है।


उत्तर प्रदेश में में योगी आदित्यनाथ सरकार ने साल 2020 में इसी तरह का विधेयक पारित किया षा. हरियाणा भी ऐसा कानून बना चुका है और उत्तराखंड ऐसा करने वाला तीसरा बीजेपी शासित राज्य होगा. रिपोर्ट के अनुसार सरकारी सूत्रों दावा किया कि यह विधेयक ‘आगामी सत्र में पारित कराया जा सकता है. प्रस्तावित विधेयक के तहत, विरोध प्रदर्शन या हड़ताल के दौरान नुकसान पहुंचाने वाला शख्स जिम्मेदार माना जाएगा और उससे वसूली की जाएगी.

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हल्द्वानी में बनभूलपुरा की घटना के बाद प्रदेश सरकार उपद्रव और हड़ताल के दौरान सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति पर हमला करने वालों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। यह देखा गया है कि हड़ताल, बंद अथवा विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारी सार्वजनिक संपत्तियों को अपना निशाना बनाते हैं और निजी संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचता है।
इसकी क्षतिपूर्ति के लिए अभी प्रदेश में कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। प्रदेश में सरकारी संपत्ति को बदरंग करने, क्षति अथवा बाधा पहुंचाने पर रोक के लिए लोक संपत्ति विरुपण अधिनियम अस्तित्व में है। यद्यपि इस अधिनियम में आरोपित को संपत्ति को दुरुस्त करने के लिए समय दिया जाता है। ऐसा न करने की स्थिति में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति शुल्क तय करती है।

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प्रदेश सरकार अब सार्वजनिक संपत्ति के साथ ही निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर अब इसकी वसूली की व्यवस्था सुनिश्चित कर रही है

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