सर्दियों में पहाड़ की गडेरी और गेठी की बढ़ी डिमांड, गरम तासीर के साथ-साथ है औषधि से भरपूर– पढ़ें पूरी खबर

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मौसम के अनुकूल पहाड़ों में कई तरह के सब्जियों के अलावा दाल भरपूर मात्रा में पैदावार होती हैं। पहाड़ की सब्जियां और दालों को औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। सर्दी के मौसम में पहाड़ों पर इन दिनों गडेरी और गेठी सब्जी तैयार हो चुकी है जिस की मंडियों में खूब डिमांड हो रही है।


आज हम आपको पहाड़ की ऐसी ही सब्जी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी सर्दियों में काफी मांग बढ़ जाती है इस सब्जी की नाम है गडेरी और गेठी जो जाड़ों में पहाड़ों पर खाई जाने वाली लोकप्रिय सब्जी है।

गडेरी और गेठी की तासीर गर्म होती है यहीं वजह से सर्दियों में लोग इसे ज्यादा खाते हैं बाजार में गडेरी और गेठी ₹40 से ₹50 किलो बिक रही है लेकिन डिमांड अधिक होने के चलते हैं इसकी आपूर्ति भी पूरी नहीं हो पा रही है गेठी और गडेरी का उत्पादन सबसे ज्यादा नैनीताल जनपद के ऊंचाई वाले क्षेत्रों के अलावा अल्मोड़ा जिले के कोसी नदी वाले इलाकों में होता है।

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कुमाऊं के सबसे बड़ी हल्द्वानी मंडी के सभी व्यापारी जीवन सिंह कार्की का कहना है कि पहाड़ में उत्पादित होने वाली गडेरी और गेठी सब्जी इन दिनों डिमांड बढ़ गई ह डिमांड के अनुसार आवक नहीं है । किसान अब इन सब्जियों के उत्पादन से मोहभंग हो रहा है क्योंकि जंगली जानवर इस सब्जी को नुकसान पहुंचा रहे हैं । सरकार को चाहिए कि पहाड़ पर होने वाले इन सब्जियों के प्रति अपनी रूचि दिखाएं जिससे कि पहाड़ की पुरानी परंपरागत सब्जियों का संरक्षण के साथ-साथ उनका बढ़ावा हो सके जिससे कि किसानों की आमदनी में भी इजाफा हो सके।

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आयुर्वेदिक डॉक्टर प्रदीप मेहरा के मुताबिक मौसम के अनुकूल लोगों को सब्जियां खानी चाहिए । मौसम के अनुकूल ही सब्जियों का उत्पादन होता है और रही बात पहाड़ की गडेरी और गेठी की तो इसके फायदे भी चौकाने वाले हैं ये फाइबर, प्रोटीन, पोटैशियम, विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम और आयरन से भरपूर होती है. इसके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-आक्सीडेंट भी पाए जाते।


गडेरी में सोडियम की काफी मात्रा पाई जाती है यह तनाव को भी दूर कर सकता है कैंसर कोशिकाओं को विकसित होने से रोकती है. मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक है इंसुलिन और ग्लूकोज की मात्रा का संतुलन बना रहता है पर्याप्त मात्रा में फाइबर पाया जाता है।

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इन सब्जियों की तासीर गर्म मानी जाती है ।

किसानों की मानें तो पहाड़ पर उत्पादित होने वाले इन सब्जियों की डिमांड मंडियों में खूब है लेकिन सरकार द्वारा इन सब्जियों को बढ़ावा देने के लिए किसी तरह से कोई किसानों को प्रोत्साहित नहीं किया जा रहा है जिसका नतीजा है कि किसानों का पहाड़ पर होने वाले पारंपरिक सब्जियों और दालों के प्रति मोहभंग हो रहा है।

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