हल्द्वानी कोतवाली में पुलिस अभिरक्षा में हुई मौत मामले में एक पुलिसकर्मी को सजा, तीन दोषमुक्त,
हल्द्वानी : वर्ष 2004 में हल्द्वानी कोतवाली में पुलिस अभिरक्षा में हुई मौत के मामले में न्यायालय ने 18 साल बाद फैसला सुनाया है न्यायालय ने पूरे मामले में एक पुलिसकर्मी करने की लापरवाही मानते हुए 3 महीने की सामान्य कारावास की सजा सुनाई है वही तीन पुलिसकर्मियों को दोषमुक्त किया है। न्यायिक मजिस्ट्रेट, सीनियर सिविल जज हल्द्वानी ज्योति बाला की कोर्ट ने पुलिस अभिरक्षा में हुई युवक की मौत मामले में एक दरोगा समेत तीन जवानों को दोषमुक्त करार दिया है।
इसके अलावा पुलिस अभिरक्षा में आने से पहले युवक की तलाशी लेने वाले एक सिपाही को तीन माह के साधारण कारावास की सजा सुनाई है।
दो पुलिसकर्मियों की पैरवी करने वाले अधिवक्ता राजन मेहरा ने बताया घटना 10 जून 2004 की है। 20 अक्तूबर 2003 को हल्द्वानी निवासी फरहा की शादी बरेली निवासी अहमद से हुई थी। कुछ दिनों बाद महिला ने हल्द्वानी में अपने पति समेत ससुरालियों पर दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस 10 जून 2004 को अहमद और उसकी मां को गिरफ्तार कर हल्द्वानी लाई थी। गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम ने दोनों को कोतवाली पुलिस के सुपुर्द किया था।
कोतवाली की बैरक में बंद करने से पहले सिपाही जय किशन ने उनकी तलाशी ली। इस बीच युवक के ससुराली भी वहां आ गए। देर रात युवक की तबीयत खराब हुई। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके दूसरे दिन बरेली में युवक के परिजनों को घटना के बारे में पता चला। इस घटना की सूचना पर युवक के पिता की मौत हो भी हो गई थी। मामले में युवक के परिजनों ने एक महिला दरोगा पुष्पा बिष्ट, सिपाही धीरेन्द्र सिंह, दीवानी सिंह व जय किशन पर हत्या का आरोप लगाया। 20 जून 2006 को मामले में मुकदमा दर्ज किया गया। यह मामला तब से कोर्ट में चल रहा था बीते 17 जून को कोर्ट ने सुनवाई करते हुए दरोगा समेत तीन जवानों को दोषमुक्त करार दिया वहीं सिपाही जय किशन को तलाशी के दौरान लापरवाही पर तीन माह की सजा सुनाया है।
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