Nainital News: PM मोदी ने नैनीताल की घोड़ा लाइब्रेरी को सराहा, पहाड़ों की चलती फिरती घोड़ा लाइब्रेरी की जानें खासियत
नैनीताल जिले के रहने वाले शुभम बधानी की घोड़ा लाइब्रेरी की चर्चा पूरे देश में की जा रही है. पीएम मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में नैनीताल की घोड़ा लाइब्रेरी का जिक्र किया।
इस लाइब्रेरी में सबसे बड़ी विशेषता यही है कि दुर्गम से दुर्गम इलाकों में भी इसके जरिए बच्चों तक पुस्तकें पहुंच रही हैं। और इतना ही नहीं, ये सेवा, बिल्कुल नि:शुल्क है। अब तक घोड़ा लाइब्रेरी के माध्यम से नैनीताल के 12 गांवों को लाभान्वित किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में नैनीताल की घोड़ा लाइब्रेरी को सराहा। जिले में कुछ युवाओं ने बच्चों के लिए अनोखी घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की है। बेशक गर्मियों की छुट्टियों में बच्चे विद्यालयों से दूर रहे, लेकिन पुस्तकें बच्चों से दूर नहीं रही।
जाने घोड़ा लाइब्रेरी की कहानी
बेशक छुट्टियों में, बच्चे विद्यालयों से दूर हो रहे हों, लेकिन पुस्तकें, बच्चों से दूर नहीं हैं। नैनीताल जिले के सुदूरवर्ती कोटाबाग विकासखंड के गांव बाघनी, जलना, महलधुरा, आलेख, गौतिया, ढिनवाखरक, बांसी में भयंकर बरसात के बाद हुई छुट्टियों में भी, बच्चों तक बाल साहित्यिक पुस्तकें पहुंचाई जा रही हैं।
गर्मियों की छुट्टियों से शुरू हुआ घोड़ा लाइब्रेरी का यह सिलसिला, बरसात की कठिनाईयों में अनवरत जारी है और पहाड़ के बच्चों के लिए एक संजीवनी का काम कर रहा है। जहां एक ओर उत्तराखंड में विगत 15 दिनों से मूसलाधार बरसात, अतिवृष्टि के कारण विद्यालय बंद है, वहीं कई गांव में बादल फटने के कारण जन जीवन तबाह हो चुका है।
पर्वतीय गांवों का संपर्क ब्लॉक मुख्यालय से कट चुका है। ऐसी परिस्थितियों में बच्चों की शिक्षा को लेकर भी एक बहुत बड़ा संकट सभी के सामने है। इस परिस्थिति में पहाड़ के बच्चों के घर तक पुस्तकें पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया।
इस परिस्थिति में, इन दुर्गम पहाड़ी इलाकों में बच्चों तक पुस्तकें पहुंचाने का केवल एक रास्ता बचा था, घोड़े।
इसलिए घोड़ा लाइब्रेरी के संयोजक शुभम बधानी ने पहल शुरू की, एक चलती फिरती लाइब्रेरी की। एक ऐसी लाइब्रेरी जिसके कदम पहाड़ों की चढ़ाई में भी, निरंतर आगे बढ़ें। नाम दिया गया, घोड़ा लाइब्रेरी…..
शुभम बधानी बताते हैं कि पर्वतीय गांव बाघनी, छड़ा एवं जलना के कुछ युवाओं एवं स्थानीय शिक्षा प्रेरकों की मदद से घोड़ा लाइब्रेरी की शुरुआत की। शुरुआती चरण में ग्रामसभा जलना निवासी कविता रावत एवं बाघनी निवासी सुभाष को इस मुहिम से जोड़ा गया। धीरे-धीरे गांवों के कुछ अन्य युवा एवं स्थानीय अभिभावक भी इस मुहिम से जुड़ते गए।
गांव के दुर्गम पर्वतीय ग्राम तोकों में “घोड़ा लाइब्रेरी” के माध्यम से पुस्तकें पहुंचाई जा रही हैं, ताकि पहाड़ के बच्चों को भी पढ़ने के लिए, रोचक कहानी-कविताएं निरंतर मिल पाएं।
इस मुहिम की सबसे खास बात यह है कि इसमें घोड़ों का सहयोग कम्युनिटी द्वारा दिया जा रहा है। अभिभावकों के बीच से ही किसी एक अभिभावक द्वारा हफ्ते में एक दिन के लिए अपने घोड़े का सहयोग, घोड़ा लाइब्रेरी के लिए दिया जाता है।
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