उत्तराखंड:करवा चौथ व्रत कल रोहिणी नक्षत्र में बन रहा है शुभ योग, विधि विधान से करें पूजा: ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी

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हल्द्वानी: करवा चौथ का त्योहार हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस बार करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर दिन गुरुवार को मनाया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार करवा चौथ के मौके पर विशेष संजोग बन रहा है।13 अक्टूबर करवा चाैथ काे रात 8.15 बजे चंद्राेदय हाेगा इस दिन सिद्धि याेग के साथ कृतिका और राेहणी नक्षत्र भी विद्यमान रहेगा जबकि चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेगा।

शास्त्रों के अनुसार इसी सिद्धि योग में भगवान शिव ने पार्वती काे अखंड साैभाग्य का आशीर्वाद प्रदान किया था।

ऐसी मान्यता है कि जो सुहागिन स्त्रियां निर्जला व्रत रखकर
सोलह शृंगार करके मां गौरी, गणेश, भगवान शंकर और कार्तिकेय का विधिविधान से पूजन-अर्चन करेंगी चंद्रोदय के बाद पारंपरिक रूप
से चलनी में पति का रूप देखने के बाद व्रत का पारण करेंगी।

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इस दिन चंद्रमा का पूजन करके पति के दीर्घायु की कामना करेंगी।

करवा चौथ पर पूजा में इस्तेमाल होने वाली सभी सामग्रियों का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं करवा चौथ में सींक, करवा, छलनी, दीपक,जल और चंद्रमा के दर्शन करने का क्या महत्व होता है।
करवा के बिना करवा चौथ की पूजा अधूरी माना जाती है। करवा का अर्थ है मिट्टी का वह बर्तन जिसे अग्रपूज्य गणेशजी का स्वरूप माना गया है। गणेशजी जल तत्व के कारक हैं।

आइए जानते हैं कि करवा चौथ पूजा और थाली सामग्री

पूजा के लिए विशेष थाली जिसमें करवा एक मिट्टी के बर्तन को संदर्भित करता है जिसके ऊपर एक नोजल होता है जो शांति और समृद्धि का प्रतीक है यदि आपको मिट्टी का करवा नहीं मिल रहा है, तो आप अपनी थाली में पीतल का करवा बना सकते हैं।
पूजा थाली में दीया जरूर शामिल करें करवा चौथ की पूजा करने के लिए आप या तो मिट्टी या आटे का दीया प्रयोग में ला सकते हैं।
करवा चौथ पूजा में छलनी का विशेष महत्व होता है जो रोशनी को ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए।चंद्रमा को जल चढ़ाने के लिए गोलाकार पानी का पात्र महत्वपूर्ण है साथ ही चांद पर दर्शन करने के बाद व्रत खोलने के प्रयोग में लाया जाता है।
वैवाहिक महिला के लिए सिंदूर को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है करवा चौथ के दिन हर महिला को सिंदूर लगाना चाहिए अपनी थाली में रखना चाहिए सिंदूर या कुमकुम एक महिला के विवाहित जीवन का प्रतीक होता है । हिंदू रीति-रिवाजों में चावल यानी अक्षथ हर चीज के लिए शुभ माना जाता है अपनी पूजा की थाली में चावल के 10-12 टुकड़े रखें क्योंकि ये बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इसके अलावा पूजा के थाली में फल और मिठाई होना भी अनिवार्य है।

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पूजा सामग्री

गंगाजल, अगरबत्ती,चंदन, अक्षत यानी अटूट कच्चा चावल,शहद, कच्चा दूध ,शक्कर, शुद्ध घी,दही, 5 तरह की मिठाई,माता पार्वती के लिए श्रृंगार का सामान, शिव पार्वती गणेशजी की तस्वीर
,लाल फूल गौरी गणेश के लिए, दुर्वा गणेशजी को अर्पित करने के लिए।

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