हाई कोर्ट का हल्द्वानी रेलवे की भूमि के करीब 4500 अतिक्रमणकारियों के मामले में हस्तक्षेप से इनकार कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा

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नैनीताल :हाई कोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की कोर्ट ने अतिक्रमणकारियों की हस्तेक्षप याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए निर्णय सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के पास अतिक्रमण हटाने के दौरान पर्याप्त सुरक्षाबल उपलब्ध है।

इसके साथ ही खंडपीठ ने पक्षकारों को छूट दी है कि अगर उनको और कुछ कहना है तो वे दो सप्ताह के भीतर अपना पक्ष लिखित में दाखिल करें. सोमवार की सुनवाई में रेलवे ने अतिक्रमण हटाने को लेकर कोर्ट में 30 दिन का प्लान भी पेश किया था. रेलवे ने कोर्ट को ये भी बताया कि उनके अधिकारियों की इस प्लान को लेकर बीते 31 मार्च को नैनीताल जिलाधिकारी के साथ बैठक हुई थी. बैठक में जिला अधिकारी ने उनसे पूरा प्लान मांगा था, जो रेलवे ने आज जिलाधिकारी को देने के साथ ही कोर्ट में भी पेश किया है. रेलवे ने उन्होंने जिला प्रशासन से अतिक्रमण हटाने को लेकर सुरक्षा मांगी थी।

सोमवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में हल्द्वानी गौलापार निवासी रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा है कि 9 नवम्बर 2016 को उच्च न्यायालय ने 10 सप्ताह के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी है , उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जनसुनवाई करें।

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रेलवे की तरफ से कहा गया था कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, करीब 4365 लोग हैं। हाई कोर्ट के आदेश पर इन लोगो को पीपीएक्ट में नोटिस दिया गया। जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है। किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए।

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जनहित याचिका में कुछ प्रभावित लोगों ने प्रार्थना पत्र देकर कहा कि वे सालों से यहां पर रह रहे है. यह भूमि उनके नाम खाता-खतौनियों में चढ़ी हुई है. रेलवे ने उनको सुनवाई का मौका तक नहीं दिया. पूर्व में रेलवे ने शपथ-पत्र पेश कर कहा था कि जिला प्रसाशन अतिक्रमण को हटाने को लेकर सहयोग नहीं कर रहा है. इस पत्र के आधार पर कोर्ट ने जिला प्रसासन और रेलवे को निर्देश दिए थे कि दोनों संयुक्त बैठक करें और जिला प्रसाशन व रेलवे बोर्ड अतिक्रमण हटाने को लेकर निर्णय लें.मामले के अनुसार 9 नवंबर 2016 को हाईकोर्ट ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 हफ्तों के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी हैं, उनको रेलवे पीपीएक्ट के तहत नोटिस देकर जनसुनवाई करें. वहीं, आज 11 अप्रैल रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, जिनमे करीब 4,365 लोग मौजूद है।

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अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे ने जिलाधिकारी नैनीताल से दो बार सुरक्षा दिलाए जाने हेतु पत्र दिया गया। दिसम्बर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यो को दिशा निर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगो को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगो को छह सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं ताकि रेलवे का विस्तार हो सके।

इन लोगो को राज्य में कहीं भी बसाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन व राज्य सरकारों की होगी। अगर इनके सभी पेपर वैध पाए जाए है तो राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास मुहैया कराएं।

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