देहरादून:भर्ती होने के लिए गिरवी रखे जमीन और जेवर, दरोगा बन मोटा माल कमाकर लिए वापस
देहरादून:दरोगा भर्ती धांधली के मामले में विजिलेंस जांच चल रही है इस मामले में 20 दारोगाओं को निलंबित भी किया गया है । सूत्रों के अनुसार मिल जानकारी के अनुसार दरोगा भर्ती मामले में कुछ और दरोगाओं पर गाज गिर सकती है जांच विजिलेंस में हो रही है। इस मुकदमे में पंतनगर विवि के पूर्व कोई अधिकारियों समेत कुल 12 लोगों को आरोपी बनाया गया है। विजिलेंस ने पंतनगर विवि के इन अधिकारियों से कई दौर में पूछताछ भी कर चुकी है।
सूत्रों से मिली जानकारी के के अनुसार विजिलेंस जांच में अनुसार 2015 में दरोगा भर्ती परीक्षा में पास होने के लिए कई अभ्यर्थियों ने अपनी जमीनें तक गिरवी रख दी थीं इसके बाद जब दरोगा बने तो चंद सालों में ही मोटा माल कमाया और फिर पैसे चुकाकर इन्हें वापस ले लिया।
विजिलेंस जांच में पता चला है कि दरोगा बनने के दो से तीन साल के भीतर ही इन जेवर और जमीनों को पैसे देकर छुड़वा लिया गया । विजिलेंस सूत्रों के अनुसार इसका खुलासा आरोपियों की संपत्तियों की जांच में भी हुआ है। जानकारी के अनुसार शुरुआत में इनकी संख्या तकरीबन 30 के आसपास बताई जा रही थी लेकिन इसकी संख्या और बढ़ सकती है ऐसे में जल्द ही पुलिस विभाग कुछ और दरोगाओं पर कार्रवाई कर सकता है।
उत्तराखंड दारोगा भर्ती घोटाला 2015-16 का है। इस मामले में विजिलेंस की कुमाऊं यूनिट पहले ही 12 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चुकी है। सूत्रों के अनुसार विजिलेंस की रडार पर अभी भी 40 से 70 दारोगा हैं जो परीक्षा में धांधली कर 2015-16 में दारोगा बने थे। 20 दारोगा को पहले ही सस्पेंड कर दिया गया है विदित हो कि वर्ष 2015 में 339 दारोगाओं की भर्ती हुई थी।
यूकेएसएसएससी परीक्षा में भर्ती घोटाले के खुलासे के दौरान यह बात सामने आई थी कि 2015—16 में हुई दरोगा भर्ती में भी व्यापक स्तर पर धांधली हुई है। 339 पदों के लिए 2015 में जारी विज्ञप्ति के बाद 17, 606 अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन किया गया था जिसकी परीक्षा पंतनगर विश्वविघालय द्वारा आयोजित कराई गई थी। इस परीक्षा में 229 पुरुष तथा 101 महिला अभ्यर्थियों का अंतिम चयन किया गया था। जिनकी ट्रेनिंग मेरठ और मुरादाबाद पीटीसी में कराई गई थी।
दारोगा के 339 पदों पर सीधी भर्ती की परीक्षा की जिम्मेदारी गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय पंतनगर को दी गई थी। उस दौरान भी भर्ती में घपले के आरोप लगे थे, लेकिन तब सरकार की ओर से जांच न कराने के कारण मामला दब गया।
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