उत्तराखंड: इन शहरों में प्रतिबंध होने जा रहे हैं ऑटो-विक्रम, गरीब परिवारों के सामने रोटी का संकट!
उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहे पोलूशन और यहां के हो रहे दूषित आबोहवा को देखते हुए सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है सड़क पर दौड़ रह पेट्रोल-डीजल वाहन यहां के पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसे देखते हुए संभागीय परिवहन प्राधिकरण ने दस साल पुराने ऑटो, रिक्शा को शहर से हटाने का निर्णय लिया है,देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार में बैन हो जाएंगे।
1 नवंबर को संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में दस साल से पुराने ऑटो और विक्रम को 31 मार्च 2023 और 10 साल से कम पुराने वाहनों को 31 दिसंबर 2023 तक हटाने की बात कही गई थी।एनजीटी की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए शहर से पेट्रोल-डीजल वाहनों को हटाने का निर्णय लिया गया है।
संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में 10 साल पुराने ऑटो, रिक्शा को हटाने को लेकर लिए गए फैसले का विरोध किया है. वहीं यूनियन के अध्यक्ष ने कहा कि डीजल पेट्रोल को रिप्लेस करने के लिए यूनियन ने 2025 तक का समय देने की मांग की थी. साथ ही वर्तमान में कोविड से उबरने के बाद कामकाज पटरी आ रहा था. लेकिन एनजीटी की गाइडलाइन का हवाला देकर उनके साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
मौजूदा समय में विभिन्न रूटों पर चल रहे डीजल-पेट्रोल संचालित ऑटो और विक्रम संचालकों को नए परमिट के लिए 31 जनवरी 2023 तक आवेदन करना होगा. एनजीटी की गाइडलाइन के मुताबिक बीएस 6 फॉर व्हीलर, सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाले ऑटो और विक्रम रूटों पर चलेंगे. जिसके लिए उसके बाद ऑटो और विक्रम जो 10 साल से पुराना है तो उसे 31 मार्च 2023 और 10 साल से कम पुराना है तो 31 दिसंबर 2023 तक हटाना पड़ेगा।
इस फैसले के बाद गरीब ऑटो संचालकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. जिन लोगों ने लोन ले रखा है वह लोग कैसे करेंगे. वहीं लॉकडाउन से उभरे ही थे कि अब इस तरह का फैसला सुना दिया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार को सब्सिडी देनी चाहिए, जिससे कुछ राहत मिल सके. देहरादून में ऑटो 2392, ऋषिकेश में 800 से 900,हरिद्वार में 1800 से 2000 और लक्सर में 400 से 500 संचालक आंदोलन करेंगे।
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