उत्तराखंड: राज्यपाल ने किया 118वे कृषि कुंभ किसान मेले एवं उद्योग प्रदर्शनी का शुभारंभ-VIDEO

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महामहिम राज्यपाल ले0ज0 गुरमीत सिंह ने 118वें कृषि कुम्भ किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का फीता काटकर व दीप प्रज्वलित कर शुभारम्भ किया।अवसर पर 06 पुस्तकों का विमोचन किया गया व प्रगतिशील कृषकों को सम्मानित किया गया।

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 विश्व प्रसिद्ध कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर में आयोजित 10 अक्टूबर से 13 अक्टूबर तक चलने वाले किसान मेले का महामहिम ने उद्घाटन करते हुए किसानों और वैज्ञानिकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज इस पवित्र धरती, जिसे आधुनिक भारत में हरित क्रांति की जन्मस्थली कहा जाता है - गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में आयोजित 118वें अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी के अवसर पर अन्न दाताओं और आप सभी के मध्य उपस्थित होकर मैं अपने आप को अत्यंत गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। उन्होंने मेले में आये सभी अन्नदाताओं, वैज्ञानिकों, उद्यमियों और विद्यार्थियों का अभिनंदन किया किया, जिनकी मेहनत, निष्ठा और नवाचार से कृषि क्षेत्र निरंतर नई ऊँचाइयों को छू रहा है। आप सब सच्चे अर्थों में राष्ट्र की धमनियों में प्रवाहित उस जीवन दायिनी शक्ति के प्रतिनिधि हैं, जो भारत को आत्मनिर्भर और  समृद्ध बनाती है।

आज इस शुभ अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा सेमीकंडक्टर लैब और निर्मित ऑडिटोरियम का उद्घाटन भी एक ऐतिहासिक क्षण है। निश्चित ही ये दोनों ही परियोजनाएँ आने वाले समय में कृषि अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी संवाद को नई दिशा देंगी। उन्होंने कहा कि आज इस अवसर पर सम्मानित हुए सभी प्रगतिशील कृषकों ने अपने परिश्रम, नवाचार और दूरदर्शिता से यह सिद्ध किया है कि यदि दृढ़ संकल्प और सकारात्मक सोच हो तो सीमित संसाधनों में भी असाधारण उपलब्धियाँ प्राप्त की जा सकती हैं। उन्होंने सभी सम्मानित कृषकों को हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि आशा करता हूँ कि वे अपने अनुभवों और सफलता की कहानियों से अन्य किसानों को भी प्रेरित करते रहेंगे।

महामहिम ने कहा कि भारतीय संस्कृति में किसान को सृष्टि का पोषक कहा गया है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है – “अन्नं बहु कुर्वीत तद्व्रतम्” – अर्थात् अधिक से अधिक अन्न उत्पन्न करना ही मनुष्य का व्रत होना चाहिए। यह केवल अन्न उत्पादन का आदेश नहीं, बल्कि भूख मिटाने, समाज को पोषित करने और जीवन की निरंतरता बनाए रखने का एक सामाजिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि भारत की सभ्यता और संस्कृति कृषि के चारों ओर ही विकसित हुई है। हमारे त्योहार, हमारे गीत, हमारे लोकाचार, इन सभी में कृषि का ही दर्शन है। दीपावली हो या होली, बैसाखी हो या हरेला – हर पर्व में धरती माता और अन्नदाता के प्रति कृतज्ञता की भावना निहित है। उन्होंने कहा कि “कृषि रक्षति रक्षितः” – अर्थात् जब हम कृषि की रक्षा करते हैं, तो कृषि हमारी रक्षा करती है। यह शाश्वत सत्य हमारे भारतीय जीवन दर्शन का मूल है। कृषि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। आज भी देश की लगभग आधी जनसंख्या प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। कृषि केवल आजीविका नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, हमारी आत्मा और हमारे अस्तित्व का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय प्रदेश में कृषि का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व और भी अधिक है। यहाँ के लोग केवल खेती नहीं करते, बल्कि धरती को माँ और बीज को जीवन का बीजांकुर मानते हैं।

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श्री सिंह ने कहा कि उत्तराखण्ड एक कृषि प्रधान राज्य है और यहाँ की भौगोलिक एवं जलवायु विशेषताएँ इसे जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त बनाती हैं। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि जैविक खेती के साथ-साथ प्राकृतिक खेती को भी जन-आंदोलन का रूप दिया जाए। मैं किसानों और वैज्ञानिकों का आह्वान करता हूँ कि इस आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभाएं। उन्होंने कहा कि मुझे अत्यधिक प्रसन्नता है कि इस विश्वविद्यालय के मार्गदर्शन में आज राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्राकृतिक खेती के प्रयोग सफल हो रहे हैं। हिमालय की गोद में पले किसान, प्रकृति से संवाद करते हुए धरती की उर्वरा शक्ति को पुनर्जीवित कर रहे हैं। यह वही मॉडल है जो भारत को ‘केमिकल-फ्री’ और पर्यावरण-सुरक्षित भविष्य की ओर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि अपनी विकास यात्रा के दौरान विश्वविद्यालय को तीन बार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का सरदार पटेल उत्कृष्ट कृषि संस्थान पुरस्कार और कृषि विश्वविद्यालयों में देश में प्रथम स्थान मिला है। उन्होंने इन उपलब्धियों के लिए विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी।

महामहिम ने कहा कि वर्तमान में विश्वविद्यालय में अध्ययनरत 4 हजार विद्यार्थियों में से लगभग 50 प्रतिशत छात्राएं हैं। जो बड़े ही प्रसन्नता का विषय है। स्थापना काल से अब तक यहां से लगभग 44 हजार विद्यार्थी डिग्री प्राप्त कर चुके हैं। मुझे खुशी है कि ये छात्र देश- विदेश में विश्वविद्यालय का नाम रोशन करते हुए नित नई-नई सफलता की गाथा लिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि राज्य सरकार और विश्वविद्यालय दोनों ही किसानों के कल्याण के लिए उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। विश्वविद्यालय द्वारा विकसित 350 से अधिक नई प्रजातियाँ, पर्वतीय कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से शोध प्रसार और किसानों को सस्ती दरों पर गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराना – ये सभी प्रयास सराहनीय हैं। उन्होंने कहा कि पिछले एक वर्ष में विश्वविद्यालय के किसान मेलों के माध्यम से डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के बीज किसानों तक पहुँचे हैं। यह न केवल तकनीक के क्षैतिज विस्तार का प्रतीक है, बल्कि किसानों में आत्मविश्वास जगाने वाला कदम भी है।

महामहिम ने अन्नदाताओं से कहा कि भगवान भोलेनाथ के त्रिशूल की तरह उत्तराखण्ड के कृषि उद्योग की प्रगति और किसानों के सशक्तीकरण के तीन प्रमुख स्तंभ हैं – श्री अन्न की खेती, शहद उत्पादन और सगंध खेती। इन तीनों ही स्तंभों में हमारे प्रदेश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की क्षमता है जो प्रदेश की आर्थिकी को नई मजबूती दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि श्री अन्न – अर्थात् बाजरा, मडुआ, झंगोरा, कौणी, कुटकी, रामदाना जैसी फसलें, हमारे पहाड़ों की अमूल्य धरोहर हैं। इन फसलों में पोषण है, परंपरा है और पर्यावरणीय संतुलन भी है। उन्होंने कहा कि शहद उत्पादन के क्षेत्र में उत्तराखण्ड देश में अग्रणी बन सकता है। यह न केवल किसानों की आय बढ़ाएगा बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का बड़ा माध्यम बनेगा। सगंध खेती, यानी औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती से पहाड़ी किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है, इन तीनों क्षेत्रों को यदि मिशन मोड में विकसित किया जाए तो उत्तराखण्ड के किसान आत्मनिर्भर होंगे और कृषि को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया जा सकेगा।

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श्री सिंह ने कहा कि जब तकनीक खेत तक पहुँचती है, तो किसान का जीवन सरल होता है, उसकी उत्पादकता बढ़ती है, और वह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सशक्त कदम बढ़ा पाता है। इसलिए वर्तमान समय में कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक का उपयोग अत्यंत आवश्यक है। नई-नई वैज्ञानिक विधियाँ, स्मार्ट कृषि उपकरण, सेंसर आधारित सिंचाई प्रणाली और ड्रोन सर्वे जैसे नवाचार न केवल किसानों का श्रम कम कर रहे हैं बल्कि उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में कृषि क्षेत्र में अनेक ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं। प्रधानमंत्री जी का कहना है कि – “किसान सिर्फ अन्नदाता नहीं, बल्कि देश के विकास के सबसे बड़े निर्माता हैं।” उनका यह कथन इस बात का प्रतीक है कि आधुनिक भारत में किसान केवल खेत में अन्न उगाने वाला नहीं, बल्कि राष्ट्र की समृद्धि का निर्माता है। उन्होंने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में “प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि”, “परंपरागत कृषि विकास योजना”, “मृदा स्वास्थ्य कार्ड”, “फसल बीमा योजना”, “डिजिटल कृषि मिशन” और “राष्ट्रीय जैविक मिशन” जैसे कार्यक्रमों ने देश के किसानों को नई ऊर्जा दी है।

महामहिम ने कहा कि ग्रामीण भारत में कृषि के क्षेत्र में “ड्रोन दीदी योजना” एक ऐतिहासिक पहल है। इस योजना के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन संचालन का प्रशिक्षण देकर उन्हें कृषि सेवाओं से जोड़ा जा रहा है। यह योजना न केवल कृषि में तकनीकी क्रांति ला रही है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण का सशक्त माध्यम भी बन रही है। ड्रोन दीदी अब नए भारत की “टेक्नो-क्रांति” और “नारी शक्ति” दोनों की प्रतीक बन चुकी हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत न केवल खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है, बल्कि कृषि निर्यात में भी एक नई पहचान बना रहा है। यह गर्व की बात है कि आज भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कृषि उत्पादक देश है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार भी किसानों के कल्याण के लिए निरंतर प्रयासरत है। राज्य में ‘मुख्यमंत्री कृषि विकास योजना’, ‘जैविक खेती मिशन’, ‘मधुमक्खी पालन प्रोत्साहन योजना’, और ‘सगंध पौधा विकास कार्यक्रम’ जैसी योजनाएँ किसानों के जीवन स्तर को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

महामहिम ने कहा कि विश्वविद्यालयों, अनुसंधान केन्द्रों और कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षण, बीज, तकनीक और विपणन सहायता उपलब्ध कराना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि हमारा राज्य न केवल पर्यटन और आध्यात्मिकता का केंद्र है, इसके साथ ही यह जैविक, प्राकृतिक और पर्वतीय कृषि का आदर्श मॉडल बन सकता है। यदि हर किसान अपने क्षेत्र की विशेषताओं के अनुरूप खेती अपनाए, नई तकनीकों का उपयोग करे और अपनी फसलों के मूल्य संवर्धन पर ध्यान दे, तो हमारा प्रदेश, देश के सबसे अग्रणी कृषि राज्यों में स्थान प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि “समृद्ध उत्तराखण्ड के बल पर ही समृद्ध भारत” का निर्माण संभव है। मुझे विश्वास है कि प्रधानमंत्री जी के “विकसित भारत 2047” के संकल्प को साकार करने में उत्तराखण्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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श्री सिंह ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आपके परिश्रम, समर्पण और संकल्प के बिना भारत का कोई भी विकास अधूरा है। आप धरती माता के सच्चे पुत्र हैं, जो अपने पसीने से राष्ट्र को जीवन देते हैं। आज जब हम विकसित भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, तब यह आवश्यक है कि हमारी कृषि आत्मनिर्भर बने, हमारे किसान आत्मविश्वासी बनें, और हमारी धरती सशक्त बने। उन्होंने मेले में आये कृषकों से आग्रह किया कि आप आधुनिक कृषि तकनीक को अपनाएँ, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें, और इस मेले से जो भी नई जानकारी, बीज या तकनीक प्राप्त करें, उसे अपने खेतों में प्रयोग अवश्य करें। निःसंदेह! त्रिशूल की शक्ति की तरह, आपके परिश्रम, विज्ञान की सहायता और सरकार की योजनाओं के संगम से ही ‘समृद्ध किसान – समृद्ध उत्तराखण्ड’ और ‘विकसित भारत 2047’ का स्वप्न साकार होगा।

कार्यक्रम में संबोधित करते हुए सूबे के कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री गणेश जोशी व सांसद अजय भट्ट ने किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी आयोजन के लिए पंतनगर विश्वविद्यालय को बधाईयां दी। उन्होंने  कहा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत आज 89 देशों को खाद्ययान निर्यात कर रहे है, यह किसान बंधुओ व वैज्ञानिकों के मेहनत का नतीजा है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री जी जितना सम्मान सैनिकों  का करते हैं उतना ही सम्मान किसानों का करते हैं। उन्होंने कहा कि देश के दस करोड़ से अधिक किसानों को डीबीटी के माध्यम से किसान सम्मान निधि देकर लाभान्वित किया जा रहा है। उन्होंने कहा जब अन्नदाता मजबूत  होगा तो देश मजबूत होगा। उन्होंने कहा कि किसान,वैज्ञानिक व अधिकारी तीनों मिलकर देश प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाएंगे। उन्होंने 

मिलेट को और बढ़ावा देने तथा वोकल फॉर लोकल को अपनाने की अपील की।
कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान ने विश्वविद्यालय के क्रियाकलापों की विस्तृत जानकारियां दी। उन्होंने बताया कि किसान मेले में 503 स्टाल लगाए गए हैं।
कार्यक्रम में विधायक शिव अरोरा, मेयर विकास शर्मा, पूर्व विधायक राजेश शुक्ला, विवेक सक्सेना, अमित नारंग, कुलपति ओपन विश्वविद्यालय प्रो0 नवीन चंद्र लोहनी, पदमश्री माधुरी बथवाल, डॉ जितेंद्र क्वात्र।, ए एस नैन, सुभाष चन्द्र, जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा, एसीएमओ डॉ के के अग्रवाल, डैम बी एस चलाल, अपर जिलाधिकारी कौस्तूभ मिश्रा, एस पी सिटी डॉ उत्तम सिंह नेगी, सहित किसान बंधु , वैज्ञानिक, विद्यार्थी आदि मौजूद थे।

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