उत्तराखंड:अपने देश में देखा कैमरा दूसरे देश में देखेंगे फिल्म,टैल्लिन फिल्म फेस्टिवल ‘पायर’ में पहाड़ की दिखेगी कहानी

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पिथौरागढ़: फिल्म निर्माता विनोद कापड़ी की फिल्म ‘पायर’ विदेशी सरजमीं पर धूम मचाने जा रही हैउत्तराखंड में पलायन का दुख-दर्द और बुजुर्ग दंपति के प्रेम की मार्मिक दास्तान ‘पायर’ फिल्म के उत्तराखंड के नायक-नायिका पहली बार विदेशी सरजमीं पर कदम रखेंगे.मौका होगा यूरोप का 28वां टैल्लिन फिल्म फेस्टिवल.पायर, इस फेस्टिवल में दिखाई जाने वाली इकलौती भारतीय फिल्म है.फिल्म के नायक-नायिका उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जनपद के बेरीनाग के साधारण नागरिक हैं जिन्होंने जीवन में पहली बार कैमरे का सामना किया है।


पीहू जैसी अवार्ड विनिंग फिल्म बनाने वाले निर्माता-निर्देशक विनोद कापड़ी की फिल्म ‘पायर’ का 19 नवंबर को यूरोप के देश एस्टोनिया में प्रीमियर होना है। पिथौरागढ़ के बेरीनाग में फिल्माई गई इस फिल्म की कहानी पलायन से खाली हो चुके मुनस्यारी के एक गांव में रहने वाले दंपति की है। फिल्म की खास बात यह है कि इसके नायक-नायिका भी बेरीनाग के आम ग्रामीण हैं। नायक का अभिनय कर रहे पदम सिंह भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हैं और नायिका हीरा देवी सामान्य पहाड़ी महिला हैं। जीवन में पहली बार अभिनय और कैमरे का सामना कर रहे दोनों ही कलाकारों ने फ़िल्म के चरित्रों में जान फूंकने का काम किया है। इसी अभिनय के बूते अब दोनों पहली बार विदेश पहुंचेंगे और ये दोनों की पहली हवाई यात्रा भी होगी।

पहाड़ के खाली होते गांवों की कहानी भी है ‘पायर’

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उत्तराखंड में पलायन से खाली हो चुके गांवों को भूतिया गांव की संज्ञा दी जाती है। ‘पायर’ खाली हो चुके ऐसे ही गांव में रह रहे बुजुर्ग दंपति की सच्ची कहानी है। सड़क और संसाधनों से दूर जंगलों में बसे गांव में दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। फिल्म के सह-निर्माता अशोक पाण्डे बताते हैं कि जिन बुजुर्ग दंपति पर ये फिल्म बनी है, वे पूरे जीवन कभी अपने गांव के सबसे नजदीकी कस्बे मुनस्यारी तक नहीं गए थे। अशोक पाण्डे से बातचीत के बाद विनोद बुजुर्ग दंपत्ति से मिले और उनके जीवन पर फिल्म बनाने का फैसला लिया।

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गुलजार ने बिना पैसे लिए पायर के लिए लिखा है गीत
गुलजार ने भी ‘पायर’ के लिए एक गीत लिखा है। विनोद ने बताया कि इस फिल्म में गीत लिखने के लिए गुलजार ने कोई पैसे नहीं लिए। फिल्म की कहानी से गुलजार बेहद प्रभावित हुए। इस कारण उन्होंने गीत का कोई शुल्क भी नहीं लिया।

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नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक की जगह ली साधारण कलाकारों ने
इस फिल्म के लिए पहले नसीरुद्दीन शाह और रत्ना पाठक शाह का चयन किया गया था। दोनों अभिनेता तैयार हो गए थे। लेकिन नसीरुद्दीन शाह को संशय था कि हिमालय के बाशिंदे के अभिनय को वे मौलिकता दे पाएंगे या नहीं। यह बात उन्होंने कापड़ी से साझा की। इसके बाद ही अभिनय के लिए पदम सिंह और हीरा देवी को खोजा गया।

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