उत्तराखंड का बेहद हैं ये चमत्कारिक पेड़,इसकी छाल का काढ़ा कई बीमारियो का रामबाण है इलाज

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आपके आसपास कई ऐसे पेड़-पौधे होंगे जिसकी औषधि गुणों के बारे में आप नहीं जानते होंग. ऐसे एक पेड़ को बताने जा रहे हैं जिसका नाम है अर्जुन का पेड़. आज हम आपको अर्जुन के पेड़ के औषधीय गुणों के बारे में बताते हैं.अर्जुन के पेड़ की छाल आयुर्वेदिक औषधी मानी जाती है. कई तरह की बीमारियां दूर करने में इसका इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है.इस पेड़ की छाल सबसे उपयोगी मानी जाती है.

अधिक उपयोग काढ़ा बनाने में किया जाता है.काढ़ा बनाने की मुख्य वजह यह है कि अर्जुन की छाल के पानी में एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होता है, जिससे यह काफी स्वास्थ्य लाभों को प्रदान करता है.
अर्जुन के पेड़ के बारे में अधिक जानकारी रखने वाले हल्द्वानी वन अनुसंधान केंद्र के प्रभारी मदन बिष्ट ने बताया कि अर्जुन का पेड़ लगभग 50 से 80 फीट ऊँचा होता है तथा हिमालय की तराई, शुष्क पहाड़ी क्षेत्रों में नालों के किनारे में काफी पाया जाता है.इसकी छाल पेड़ से उतार लेने पर फिर उग आती है.

एक वृक्ष में छाल तीन साल के चक्र में मिलती हैं.छाल बाहर से सफेद, अन्दर से चिकनी, मोटी तथा हल्के गुलाबी रंग की होती है.
इसके छाल को उतार कर सुखाकर उसकी बारीक चूर्ण तैयार कर रोज एक चम्मच चरण का काढ़ा तैयार कर पीने से मुख्य रूप से हृदय रोग के साथ-साथ कई अन्य बीमारियां दूर होती है.

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अर्जुन छाल के 1 चम्मच बारीक चूर्ण को एक गिलास पानी में खौलाकर एक कप काढ़ा तैयार कर सुबह खाली पेट या सुबह शाम शाम नियमित सेवन करते रहने से हृदय के समस्त रोगों में लाभ मिलता है, हृदय को बल मिलता है और कमजोरी दूर होती है इससे हृदय की बढ़ी हुई धड़कन सामान्य होती है.

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सर्दी-खांसी की समस्या से राहत पाने के लिए भी अर्जुन की छाल का उपयोग किया जाता है.

अर्जुन की छाल का उपयोग डायबिटीज को कंट्रोल करने में काफी मददगार सिद्ध होता है क्योकि इसमें कुछ विशेष प्रकार के एंजाइम्स पाए जाते हैं जिस वजह से अर्जुन की छाल एंटीडायबिटिक गुण मौजूद होते है.
आर्युवेद में अर्जुन की छाल के पानी को सांस संबंधी बीमारियों के लिए काफी कारगर माना गया है. कहा जाता है कि अस्थमा जैसी सांस से जुड़ी बीमारियों से राहत देने में यह काफी काम आ सकता है.

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अर्जुन छाल में मौजूद यह गुण किडनी और लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाकर ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है.

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