जोशीमठ मे कुदरत का कहर आंखों के सामने उजड़ रहा है आशियाना खौफ में लोग, आदि गुरु शंकराचार्य मठ में अब आई दरारें-देखे-VIDEO
उत्तराखंड के जोशीमठ में कुदरत के कहर ने लोगों को बेसहारा कर दिया है ।जोशीमठ में दरारों से खौफ में लोग, भविष्य की चिंता खाए जा रही यहां के सिंहधार जैसे निचले इलाके हुए हैं सबसे ज्यादा प्रभावित ज्यादातर घरों में दिख रहीं दरारें, सड़कें और खेत भी नहीं बचे लगातार चौड़ी हो रही हैं ये दरारें, लोग काफी ज्यादा डरे हुए हैं।
बद्रीनाथ धाम से 45 किलोमीटर दूर जोशीमठ में हैरान करने वाला मंजर है. कई इलाकों में लैंडस्लाइड और दरकती दीवारों की वजह से लोग दहशत में हैं. जो अपने घर में रह रहे हैं, उनको पूरी रात नींद नहीं आ रही. जिनके घरों में दरारें आ चुकीं हैं या जमीन का हिस्सा धंस गया है, उनमें से कई अपना आशियाना छोड़कर पलायन कर चुके हैं.
भू धंसाव के संकट का सामना कर रहे जोशीमठ में आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी स्थित नृसिंह मंदिर परिसर में दरारें आ गई हैं। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर में विराजमान रहती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को नृसिंह मंदिर पहुंचकर भगवान के दर्शन किए और मंदिर परिसर में आ रही दरारों का भी निरीक्षण किया।
सीएम ने कहा कि जोशीमठ के धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सबसे पुराने ज्योतिर्मठ की सुरक्षा के लिए सरकार हरसंभव कदम उठाएगी। इस समय हम सबके सामने सबसे पुराने ज्योतिर्मठ को प्राकृतिक आपदा से बचाने की बड़ी चुनौती है। देहरादून पहुंचकर सीएम सीधे सचिवालय स्थित आपदा प्रबंधन नियंत्रण कक्ष गए, जहां उन्होंने अधिकारियों की बैठक ली, जिसमें जोशीमठ को भूस्खलन व भू-धंसाव क्षेत्र घोषित किया गया।
भविष्य का सपना संजो रहे जोशीमठ के कई परिवार अब आपदा के कारण पलायन करने के लिए मजबूर हैं। जोशीमठ के सुनील वार्ड के दुर्गा प्रसाद सकलानी के घर पहली बार 2021 में दरार दिखाई दी जो अब पूरे शहर में पैर पसार चुका है। समय रहते प्रशासन इस समस्या से निपटने का उपाय करता तो शायद आज हजारों लोगों को अपने ही शहर में शरणार्थी से जीवन नहीं जीना पड़ता।
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