GST 2.0: आम आदमी के लिए दिवाली गिफ्ट! अक्टूबर से होगा लागू,खाने-पीने के सामान से लेकर TV-AC तक, जानें क्या होगा सस्ता और क्या होगा महंगा

देश में जीएसटी लागू हुए आठ साल पूरे हो चुके हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से ऐलान किया है कि इस बार दिवाली से पहले जनता को बड़ा तोहफा मिलेगा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार “नेक्स्ट-जेनरेशन GST रिफॉर्म्स” लाने जा रही है, जिससे आम आदमी, किसान, मिडिल क्लास और छोटे कारोबारियों की जेब पर बोझ कम होगा


टैक्स स्लैब होंगे आसान
फिलहाल जीएसटी में चार मुख्य दरें हैं- 5%, 12%, 18% और 28%। लंबे समय से ये मांग उठ रही थी कि ढांचा सरल बनाया जाए। अब संभावना है कि कुछ स्लैब को मिलाकर सिर्फ दो दरें रखी जाएंगी। इससे रोजमर्रा की चीजें सस्ती होंगी और कारोबारियों के लिए टैक्स कंप्लायंस आसान हो जाएगा।
रोजमर्रा का सामान होगा सस्ता
इस बार जो GST सुधार लाने की तैयारी है, उससे आम लोगों को सीधा फायदा मिलेगा। रोजाना इस्तेमाल होने वाले सामान जैसे किराने का सामान, दवाइयां, टीवी और वॉशिंग मशीन तक सब सस्ते हो सकते हैं। यही नहीं, खेती में इस्तेमाल होने वाले औजार, साइकिल और यहां तक कि बीमा (Insurance) और शिक्षा जैसी सेवाओं पर भी खर्च कम हो जाएगा। सीधी भाषा में कहें तो घर-गृहस्थी चलाने वालों और किसानों के जेब पर से बोझ हल्का होगा, और देशभर में खपत बढ़ने की उम्मीद है।
सुधार के बाद ज्यादातर सामान और सेवाएं दो कैटेगरी में होंगी- 5% और 18%। कुछ खास सामानों पर 40% का नया टैक्स लगेगा, जिन्हें अभी “कंपनसेशन सेस” के तहत रखा गया है। 31 मार्च 2026 के बाद ये सेस खत्म हो जाएगा और टैक्स सिस्टम और साफ हो जाएगा।
जानकारों के मुताबिक:
12% से 5% टैक्स पर आने वाले सामान: कंडेंस्ड मिल्क, ड्राई फ्रूट्स, फ्रोजन सब्जियां, सॉसेज, पास्ता, जैम, नमकीन, टूथ पाउडर, फीडिंग बॉटल, कालीन, छतरी, साइकिल, बर्तन, फर्नीचर, पेंसिल, जूट या कॉटन के हैंडबैग और 1000 रुपये तक के जूते-चप्पल।
28% से 18% टैक्स पर आने वाले सामान: सीमेंट, एसी, डिशवॉशर, मॉनिटर, प्रोजेक्टर, सेट-टॉप बॉक्स और LCD/LED टीवी।
इसका सीधा मतलब है कि टीवी, वॉशिंग मशीन, घर बनाने का सामान और कई घरेलू जरूरतें पहले से सस्ती होंगी।किन चीज़ों पर टैक्स घट सकता है
-सीमेंट
-छोटी कारें
-एयर कंडीशनर (ACs)
-FMCG प्रोडक्ट्स (तेल, साबुन, पैक्ड फूड आदि)
-सुधारों के प्रमुख लक्ष्य
-कंपनसेशन सेस हटाना
-टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनान
-विवाद और मुकदमों को कम करना
-राजस्व स्थिरता (Revenue Buoyancy) बनाए रखना।
इसके अलावा, करीब 5 से 7 “डिमेरिट आइटम्स” (जैसे लग्ज़री या हानिकारक सामान) को एक स्पेशल 40% स्लैब में रखा जा सकता है। यह दर मौजूदा जीएसटी कानूनों में निर्धारित उच्चतम सीमा है।
इसका मकसद टैक्स ढांचे को सरल बनाना, खपत को बढ़ावा देना और साथ ही राजस्व में स्थिरता बनाए रखना है।







अपने मोबाइल पर प्रगति टीवी से जुड़ने के लिए नीचे दिए गए ऑप्शन पर क्लिक करें -
👉 व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें
👉 यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें
👉 अपने क्षेत्र की खबरों के लिए 8266010911 व्हाट्सएप नंबर को अपने ग्रुप में जोड़ें