हल्द्वानी: कैंप कार्यालय में मनाई गई भारत रत्न पं.गोविंद बल्लभ पंत की 63वीं पुण्यतिथि किया श्रद्धा सुमन अर्पित

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हल्द्वानी: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और महान स्वतंत्रता सेनानी, लोकप्रिय राजनेता, देश के पूर्व गृह मंत्री ‘भारत रत्न’ पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 63 वीं पुण्यतिथि हल्द्वानी स्थित पंडित गोविंद बल्लभ पंत कैंप कार्यालय में मनाई गई जहाँ उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया जहां पंडित गोविंद बल्लभ पंत के देश की आजादी से लेकर उनके विकास कार्यों पर चर्चा की गई.

इस मौके पर गोविंद बल्लभ पंत जयंती प्रदेश के मुख्य संयोजक पूर्व दर्जा राज्य मंत्री गोपाल सिंह रावत ने बताया कि भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की 63 वीं जयंती उत्तराखंड के साथ-साथ पूरे देश में मनाई जा रही है. भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत के योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता. पंडित गोविंद बल्लभ पंत एक प्रशासक के तौर पर जाने जाते थे.
हल्द्वानी स्थित तिकोनिया पंत पार्क में भी भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत के मूर्ति पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई.
इस मौके पर गोविंद सिंह डंगवाल संयोजक, मोहन चंद्र जोशी, ओमप्रकाश तिवारी, मोहन सिंह बिष्ट, केदार सिंह नगन्याल, श्याम सिंह कोरंगा, राजू कांडपाल, आनंद बल्लभ जोशी, पूरन चंद्र तिवारी, तारा जोशी, राजू संभल, महेंद्र मौर्य, सुरेंद्र सिंह,यशवंत बिष्ट,नारायण दत्त पाठक सहित अन्य लोगों ने भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत को श्रद्धांजलि अर्पित की,

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गोविंद बल्लभ पंत को किया श्रद्धा सुमन अर्पित

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत के पुण्यतिथि पर उनको शत-शत नमन किया है उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट में नमन करते हुए पोस्ट किया है.

10 सितम्बर 1887 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के खूंट गांव में जन्मे पंडित गोविंद बल्लभ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और जाने-माने वकील के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री से लेकर भारत के गृह मंत्री का पदभार संभाल, भारत रत्न तक का सफर संघर्ष भरा रहा. आज उनके 134वी जयंती के मौके पर प्रदेश के अलग-अलग शहरों में भव्य कार्यक्रम कर उनको याद किया जा रहा है. महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोविंद बल्लभ पंत का जन्म 1887 को अल्मोड़ा के खूंट (धामस) गांव में ब्राह्मण परिवार में हुआ.

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1905 में गोविंद बल्लभ पंत अल्मोड़ा छोड़ इलाहाबाद चले गए, जहां उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और कांग्रेस के स्वयंसेवक के तौर पर काम करते रहे. शिक्षा में उनकी रुचि और लगन के परिणाम स्वरूप वर्ष 1909 में उनको कानून की शिक्षा में सर्वोच्च अंकों से उपलब्धि हासिल की. उनके लगन को देखते हुए कॉलेज से लेम्सडेन अवार्ड से सम्मानित किया गया

9 अगस्त 1924 को काकोरी कांड में उन्होंने मुकदमे की पैरवी पूरी जी जान से की. 1930 में नमक सत्याग्रह में भी उन्होंने भाग लिया और मई 1930 में देहरादून में जेल भी गए. गोविंद बल्लभ पंत ने स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में बढ़-चढ़ भाग लिया. वर्ष 1921, 1930, 1932 और 1934 में करीब 7 साल तक जेल में रहे. 17 जुलाई 1937 से लेकर 2 नवंबर 1939 टाको ब्रिटिश भारत में संयुक्त प्रांत यानी यूपी के पहले मुख्यमंत्री बने हैं जिसके बाद दोबारा उन्हें वहीं दायित्व सौंपा गया. 1 अप्रैल 1946 से 15 अगस्त 1947तक संयुक्त प्रांत यूपी के मुख्यमंत्री बने रहे. जब भारतवर्ष का अपना संविधान बना और संयुक्त प्रांत का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश रखा गया तो फिर तीसरी बार उन्हें उसी पद के लिए सहमति से मुख्यमंत्री बनाया गया. इस प्रकार स्वतंत्र भारत के 26 जनवरी 1950 से लेकर 27 दिसंबर 1954 तक वो मुख्यमंत्री बने रहे.
सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु के बाद 10 जनवरी 1955 को केंद्रीय गृह मंत्री का पदभार दिया गया. सन 1957 में गणतंत्र दिवस पर महान देशभक्त कुशल प्रशासक भारतीय संविधान के ज्ञाता, जमीदारी प्रथा को खत्म करने और हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाए जाने पर उन्हें सर्वोच्च उपाधि भारत से विभूषित किया गया. 7 मई 1961 को हृदय गति रुकने के कारण उनकी मृत्यु हो गई. उस समय वह भारत के केंद्रीय गृहमंत्री थे और गोविंद बल्लभ पंत भारत रत्न प्राप्त करने वाले उत्तराखंड के पहले व्यक्ति थे. इसलिए आज भी गोविंद बल्लभ पंत को हिमालय पुत्र और भारत रत्न के नाम से जाना जाता है.

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