अयोध्या राम मंदिर उत्सव :पं. गोविंद वल्लभ पंत और सरदार वल्लभ भाई पटेल की जुगलबंदी ने बचाया स्वाभिमान,

ख़बर शेयर करें

अयोध्या में प्रभु श्री राम बनकर तैयार हो गया है 22 जनवरी को भगवान श्री राम की मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होनी है.देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई बड़े नेता और राम मंदिर निर्माण में अपना अहम योगदान देने वाले लोग प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर शामिल होंगे पूरे देश में भगवान श्री राम के मंदिर में उनकी प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्सुकता है.

Ad Ad


ऐसे में पंडित गोविंद बल्लभ पंत के नाम से बनाए गए ट्विटर अकाउंट और सोशियल मीडिया का एक वीडियो पंडित गोविंद बल्लभ पंत के अडिग हौसलों और मजबूत इरादों की कहानी बयां कर रहा है. द जयपुर डायलॉगस’ में प्रखर श्रीवास्तव और संजय दीक्षित के मध्य हुए वार्तालाप का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि 1994 में जब विवादित बाबरी मस्जिद में श्री रामलला का उत्तरण होता है तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू उसको हटवाने चाहते थे लेकिन यूनाइटेड प्रोविंस(वर्तमान यू.पी.)के तत्कालीन मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने पंडित जवाहरलाल नेहरू के आदेशों को दरकिनार करते हुए अवतरित हुए राम लला की मूर्ति को वहां से हटने नहीं दिया.

यह भी पढ़ें 👉  उत्तराखंड:जसपुर में नाबालिग से दुष्कर्म और हत्या, का पुलिस ने किया खुलासा हैरान कर देगी घटना


पंडित गोविंद बल्लभ पंत के ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट डाली गई है जहां बताया गया है कि

इतिहास में यह बात साफ है कि अगर गृह मंत्री सरदार पटेल की गहरी आस्था और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत की दूरदर्शी राजनीतिक समझ न होती, तो यह गर्वित क्षण हमारे लिए केवल एक अधूरा सपना बनकर रह जाता,

यह भी पढ़ें 👉  UKSSSC Vacancy : आ गई खुशखबरी! UKSSSC ने निकाली भर्ती, जानिए कार्यक्रम

द जयपुर डायलॉगस’ में प्रखर श्रीवास्तव और संजय दीक्षित के मध्य हुए चर्चा से लग रहा है कि चाचा नेहरू नहीं चाहते थे कि रामलला अयोध्या में विराजमान हों और अगर उनकी चलती तो वह वहां 5 दफ़े की नमाज़ पढ़ा देते। रामलला की मूर्ति अवतरित होने के बाद उत्पन्न हालातों से वीडियो में कहा गया है कि भयभीत मुस्लिमों ने पंडित नेहरू को संपर्क किया।

चाचा नेहरू ने पंडित पंत को टेलीग्राम भेजी कहा गया कि वहां के हालात चिंताजनक हैं और यहां के परिस्थितियों का विपरीत असर जम्मू कश्मीर पर पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि यू.पी.का प्रशासन घटनाओं को नहीं रोक रहा है। नेहरू के पत्र में कहा गया कि जो कांग्रेस का स्तंभ थे, आज उनके दिलोदिमाग पर सांप्रदायिकता ने कब्जा कर लिया है, जो लकवा समान है।

यह भी पढ़ें 👉  UKSSSC Vacancy : आ गई खुशखबरी! UKSSSC ने निकाली भर्ती, जानिए कार्यक्रम

वर्ष 1949 में लिखे प्रधानमंत्री नेहरू के पत्र से लगता है कि वो नहीं चाहते थे कि अयोध्या में प्रभु श्री राम विराजमान हों। उन्होंने अपने अयोध्या आने का प्रस्ताव तक रखा, लेकिन सनातन प्रेमी मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत ने रामलला की अवतरित मूर्ति को नहीं हटने दिया और प्रधानमंत्री के माहौल ख़राब होने की आशंका के मद्देनज़र वहाँ ताला लगवा दिया.एक लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आज अयोध्या में रामलला के विराजमान होने की घड़ी नजदीक आ गई है।

Advertisements
Ad Ad Ad
अपने मोबाइल पर प्रगति टीवी से जुड़ने के लिए नीचे दिए गए ऑप्शन पर क्लिक करें -

👉 व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें

👉 फेसबुक पेज़ को लाइक करें

👉 यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें

👉 अपने क्षेत्र की खबरों के लिए 8266010911 व्हाट्सएप नंबर को अपने ग्रुप में जोड़ें