उत्तराखंड: पुष्कर सिंह धामी के सामने पुरानी घोषणाएं और फैसलों को लागू करने की बड़ी जिम्मेदारी, जाने क्या है घोषणाएं

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देहरादून : मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को फिर से उत्तराखंड का बागडोर मिला है , केंद्रीय बीजेपी हाईकमान ने पुष्कर सिंह धामी के 6 महीने के कार्यकाल को देखते हुए उनको फिर से मुख्यमंत्री बनाया है ऐसे में मुख्यमंत्री धामी के लिए आगे कई बड़ी चुनौतियां भी हैं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने कार्यकाल में कर्मचारियों की सभी समस्याओं की सुनवाई के लिए वेतन विसंगति समिति का गठन किया था। कर्मचारी संगठनों ने अलग-अलग अपनी समस्याएं इस समिति के सामने भी रखी थी पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि उसी कार्यकाल में समिति की रिपोर्ट आएगी और उस पर फैसला होगा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। ऐसे में फिर से उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद अब समिति अब नई सरकार के सामने अपनी रिपोर्ट रखेगी जिसके आधार पर नई सरकार के सामने लाखों कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान की चुनौती पेश आएगी। धामी कैबिनेट ने शिक्षा मित्रों का मानदेय 15 हजार से बढ़ाकर 20 हजार करने का निर्णय लिया था लेकिन इसके बाद आचार संहिता के चलते आदेश लटका हुआ था उम्मीद जताई जा रही है कि नई सरकार में मानदेय में बढ़ोतरी होगी।

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विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने घोषणा की थी कि दोबारा सत्ता में आने पर प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। आज तक देश के किसी भी राज्य में यह सिविल कोड लागू नहीं हो पाया है। अब यह वादा नई सरकार के सामने चुनौती बनकर खड़ा होगा। इसी प्रकार, लैंड जेहाद, लव जेहाद, तीन तलाक के कानून को मजबूत करते हुए सख्त सजा की घोषणा भी की गई थी। इस दिशा में काम करने की भी चुनौती पेश आएगी।

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इसी प्रकार, धामी सरकार ने वृद्धावस्था, विकलांग, विधवा पेंशन के साथ ही दिव्यांग पेंशन को 1200 रूपये से बढ़ाकर 1500 रुपये करने का निर्णय लिया था, जिसके शासनादेश का नई सरकार में इंतजार होगा। धामी सरकार ने सशक्त भू-कानून को लेकर समिति का गठन किया था। यह समिति पूर्व मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनाई गई थी लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया था। भाजपा ने इस बार के चुनावी घोषणा पत्र में भी भू-कानून का वादा किया था। लिहाजा, प्रदेश में बनने वाली नई सरकार के सामने भू-कानून की बड़ी जिम्मेदारी होगी। इसके अलावा पुलिस कर्मियों के पे ग्रेड सबसे बड़ी चुनौती होगी।

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