उत्तराखंड के जोशीमठ में धंस रहे हैं घर-सड़क, बना रहस्य, क्यों पड़ रही है दरारे

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उत्तराखंड के जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव से स्थिति लगातार बिगड़ रही है। भू-धंसाव ने क्षेत्र के सभी वार्डों को चपेट में ले लिया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पीएमओ लगातार मामले की निगरानी कर रहा है। अब तक 70 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा चुका है।
करीब 600 परिवारो खतरे की घंटी मंडरा डरा रही है।

बदरीनाथ धाम से महज 50 किलोमीटर दूर जोशीमठ में हैरान करने वाला मंजर है. कई इलाकों में लैंडस्लाइड और दरकती दीवारों की वजह से लोग दहशत में जीने को मजबूर हैं. जो अपने घर में रह रहे हैं, उन लोगों को पूरी रात नींद नहीं आ रही. जिनके घरों में दरारें आ चुकीं हैं या जमीन का हिस्सा धंस गया है, वो लोग अपना आशियाना छोड़कर पलायन कर चुके हैं।

शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने उच्च स्तरीय बैठ बुलाई. जिसमें अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए. जानकारी के मुताबिक सीएम ने कहा कि तत्काल सुरक्षित स्थान पर एक बड़ा अस्थायी पुनर्वास केंद्र बनाया जाए. जोशीमठ में सेक्टर और जोनल वार योजना बनाई जाए. तत्काल डेंजर जोन को खाली करवाया जाए और आपदा कंट्रोल रूम एक्टिवेट किया जाए. जिसके बाद अधिकारी कार्रवाई में जुट गए हैं।

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आादि गुरु शंकराचार्य की तपोभूमि ज्यार्तिमठ भी भूधंसाव की जद में आ रहा है। इस तरह से नगर धीरे-धीरे अपने सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अस्तित्व को खो रहा है। यही हाल रहा तो भविष्य में जोशीमठ के मठ-मंदिरों की केवल कहानियां ही सुनाई देंगी। वैसे तो बदरीनाथ जाने वाले तीर्थयात्री भी जब जोशीमठ में भगवान नृसिंह के मंदिर में दर्शन करने जाते हैं तो वहां इस भविष्यवाणी के बारे में बताया जाता है। इसमें कहा जाता है कि भविष्य में बदरीनाथ धाम (Badrinath Dham) विलुप्त हो जाएगा और जोशीमठ से 25 किमी दूर भविष्यबदरी में भगवान बदरीविशाल के दर्शन होंगे। जोशीमठ में हो रहे भूधंसाव और जमीन के नीचे से निकलने वाले पानी के नालों को देखकर लोग अब इस भविष्यवाणी से इसे जोड़ कर देख रहे हैं।

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तरफ धार्मिक भविष्यवाणी है तो वहीं दूसरी तरफ वैज्ञानिक कारण भी बताए जा रहे हैं। इन कारणों को आज या कल में नहीं खोजा गया है, बल्कि जोशीमठ पर आए इस खतरे को लेकर साल 1976 में भी भविष्यवाणी कर दी गई थी। 1976 में तत्कालीन गढ़वाल कमिश्नर एमसी मिश्रा की अध्यक्षता वाली समिति ने एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें जोशीमठ पर खतरे का जिक्र किया गया था। यह भी बतााय गया था कि भूस्खलन से जोशीमठ को बचाने के लिए स्थानीय लेागों की भूमिका किस तरह तय की जा सकती है, वृक्षारोपण किया जा सकता है। इसके बाद साल 2001 में भी एक रिपोर्ट में इस खतरे को लेकर आगाह किया गया था।

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बताया जा रहा है कि सिंहधार वार्ड में यह पहला मामला है , अभी तक सिर्फ दीवारों में दरारें ही आई थीं, लेकिन अब मंदिर गिरने से लोगों में दहशत का माहौल है वहीं दिन प्रति दिन यहां घरों में दरारें बढ़ती जा रही हैं।

अब तक 603 घरों में दरारें आ गई हैं. कई घर गिरने की कगार पर हैं. इसके चलते शुक्रवार को भी प्रशासन द्वारा 6 और परिवारों इलाके से शिफ्ट किया गया है।

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